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प्रयागराज: मिड-डे-मिल (एमडीएम) को लेकर शासन बेहद सख्त हो गया है। इस योजना में पंचायती राज विभाग की भी सहभागिता को लेकर मंथन हो रहा है। सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही यह विभाग सक्रिय भूमिका में नजर आएगा। वजह अधिकतर स्कूलों में एमडीएम बनने की व्यवस्था की जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों के हाथ में होना […]
प्रयागराज: मिड-डे-मिल (एमडीएम) को लेकर शासन बेहद सख्त हो गया है। इस योजना में पंचायती राज विभाग की भी सहभागिता को लेकर मंथन हो रहा है। सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही यह विभाग सक्रिय भूमिका में नजर आएगा। वजह अधिकतर स्कूलों में एमडीएम बनने की व्यवस्था की जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों के हाथ में होना है। इस विभाग की सहभागिता से एमडीएम में गड़बड़ी होने पर ग्राम प्रधानों की भी जवाबदेही तय हो सकेगी।
ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में एमडीएम के लिए राशन, मसाला से लेकर सब्जी तक का इंतजाम ग्राम प्रधान के स्तर से होता है। हेड मास्टर सिर्फ निगरानी करते हैं। कहीं से शिकायत मिलने पर बेसिक शिक्षा विभाग के स्तर से ग्राम प्रधान को सिर्फ नोटिस जारी किया जाता है। हालांकि, नई व्यवस्था में कहीं गड़बड़ी मिलने पर पंचायतीराज विभाग प्रधान की जवाबदेही तय करेगा। वहीं, प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के सुपरविजन के लिए स्थानीय स्तर पर विशेष टीमें भी बनाए जाने की व्यवस्था की जा रही है।
यह टीमें हर ब्लॉक में सक्रिय रहेंगी और औचक रूप से स्कूलों का निरीक्षण करके सीधे विभागीय अधिकारियों को रिपोर्ट करेगी। टीम की गतिविधियों को इस तरह से संचालित कराने की तैयारी है, जिससे निरीक्षक की भनक स्कूलों को पहले से न लग सके। इसके साथ ही रिर्पोटिंग के लिए ब्लॉक संसाधन केंद्र बीआरसी से लेकर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय तक अलग से व्यवस्था बनाए जाने की तैयारी है।
17 ग्राम प्रधानों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखी गई थी चिट्ठी :
पिछले दिनों स्कूलों में एमडीएम की जांच जिला प्रशासन के स्तर से कराई गई थी। 17 विद्यालयों में एमडीएम बनने में कुछ न कुछ दिक्कतें सामने आईं थी। इसके लिए ग्राम प्रधान जिम्मेदार ठहराए गए थे। उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से पंचायतीराज विभाग को चिट्ठी लिखी गई थी।