नई दिल्ली | चंद्रयान 2 के लैंडर विक्रम की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग न होने पाने के बाद जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, लैंडर से संपर्क की उम्मीदें भी खत्म हो रही हैं लेकिन नासा के एक प्रयास ने फिर एक आस जगाई है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने चंद्रमा ऑर्बिटर द्वारा चांद के उस हिस्से की तस्वीरें खींची हैं, जहां लैंडर ने सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया था। NASA इन तस्वीरों की समीक्षा कर रहा है।
NASA के एक प्रॉजेक्ट साइंटिस्ट के हवाले से मीडिया ने यह खबर दी है। नासा के लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर (LRO) अंतरिक्षयान ने चंद्रमा के अनछुए दक्षिणी ध्रुव के पास , वहां से गुजरने के दौरान कई तस्वीरें लीं जहां से विक्रम ने उतरने का प्रयास किया था। एलआरओ के डेप्युटी प्रॉजेक्ट साइंटिस्ट जॉन कैलर ने नासा का बयान साझा किया जिसमें इस बात की पुष्टि की गई कि ऑर्बिटर के कैमरे ने तस्वीरें ली हैं।<
#Chandrayaan2 Orbiter continues to perform scheduled science experiments to complete satisfaction. More details on https://t.co/Tr9Gx4RUHQ
Meanwhile, the National committee of academicians and ISRO experts is analysing the cause of communication loss with #VikramLander— ISRO (@isro) 19 September 2019
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सीनेट डॉट कॉम ने एक बयान में कैली के हवाले से कहा, ‘LRO टीम इन नई तस्वीरों का विश्लेषण करेगी और पहले की तस्वीरों से उनकी तुलना कर यह देखेगी कि क्या लैंडर नजर आ रहा है (यह छाया में या तस्वीर में कैद इलाके के बाहर हो सकता है)।’ रिपोर्ट में कहा गया कि नासा इन छवियों का विश्लेषण, प्रमाणीकरण और समीक्षा कर रहा है। उस वक्त चंद्रमा पर शाम का समय था जब ऑर्बिटर वहां से गुजरा था जिसका मतलब है कि इलाके का ज्यादातर हिस्सा पिक्चर में कैद हुआ होगा।
इसरो ने बताया, ऑर्बिटर अच्छे से कर रहा है काम
इस बीच, इसरो ने ट्वीट कर बताया है कि ऑर्बिटर अपने तयशुदा कार्यक्रम के तहत काम कर रहा है और तय प्रयोगों को अच्छे से अंजाम दे रहा है। इधर, इसरो की एक एक्सपर्ट कमिटी लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने के कारणों का पता लगाने में जुटा हुआ है।’
7 सितंबर को टूटा था संपर्क
सात सितंबर को चंद्रयान-2 के विक्रम मॉड्यूल का चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने का प्रयास तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो पाया था। लैंडर का आखिरी क्षण में जमीनी केंद्रों से संपर्क टूट गया था। हालांकि चंद्रयान -2 का भी ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में मौजूद है और 7.5 साल तक अपना काम करता रहेगा। नासा के एक प्रवक्ता ने इससे पहले कहा था कि इसरो के विश्लेषण को साबित करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी चंद्रयान-2 विक्रम लैंडर के लक्षित इलाके की पहले और बाद में ली गई तस्वीरों को साझा करेगी।
अगले दो दिन संपर्क नहीं हुआ तो क्या होगा विक्रम का?
चांद पर रातें काफी ठंडी होती हैं, खासकर दक्षिण ध्रुव पर जहां विक्रम ने हार्ड लैंडिंग की थी। यहां रात के दौरान तापमान गिरकर -200 डिग्री तक पहुंच जाता है। लैंडर विक्रम में लगे उपकरण ऐसे डिजाइन नहीं किए गए हैं जो इतने कम तापमान को सहन कर पाएं। यहां इलेक्टॉनिक उपकरण काम नहीं करेंगे और पूरी तरह खराब हो जाएंगे। ऐसे में अगर अगले दो दिन में लैंडर से कोई संपर्क नहीं हो पाता है तो उससे संपर्क की सारी उम्मीदें खत्म हो जाएंगी।