
- रूस से आए वैज्ञानिक ने उसर खत्म करने की बताई राह
- किसानों की उपज एवं आए बढ़ाने के लिए किया जा रहा है कार्य
- नहीं करना पड़ेगा रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग
- यह तकनीकी पूरी तरह जैविक और प्राकृतिक है
Report By : Arun Gupta
अमेठी | आज अमेठी तहसील के अमेठी पब्लिक स्कूल में रूस से आए वैज्ञानिकों ने किसानों के साथ एक गोष्टी कर उसर भूमि को पुनः कृषि योग्य बनाने के लिए नई तकनीकी पर चर्चा किया। इस तकनीक से फसल की पैदावार में बढ़ेगी जिससे किसानों की उपज और आय भी बढ़ेगी।लगातार रासायनिक उर्वरकों की अनियंत्रित प्रयोग के कारण हमारी उपजाऊ जमीन अपनी उर्वरता खो रही है।
धीरे-धीरे उसर भूमि में बदलती जा रही है। इसी को रोकने के लिए यह तकनीक समझाइ और बताई गई ।यह पूरी तरह से प्राकृतिक और जैविक है। मृदा वैज्ञानिकों के अनुसार खेतों में 10 से 15 दिनों के ट्रीटमेंट के बाद भूमि कृषि योग्य हो जाएगी। बशर्ते खेतों को पानी से यथोचित रूप से सिंचित किया जाता रहे।
जिससे मिट्टी बायोलॉजिकल रूप से सक्रिय हो जाएगी और ग्लूकोनाइट द्वारा आवश्यक खनिज मुहैया हो जाते हैं।यह वायु प्रदूषण भूलवणता तथा भूजल प्रदूषण को भी रूकती है। यह रूस से लाई गई जैविक खाद जो वहां की एक प्रकार की मिट्टी है जिसमें ग्लूकोनाइट आयन एक्सचेंज बफरिंग और शोषण गुणों से भरपूर है। इस पूरे कार्यक्रम का आयोजन भारतीय जनता पार्टी की महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रश्मि सिंह के द्वारा किया गया।